‘ये देखिए हमारी बड़ी बहू, इसने शादी के बाद नौकरी जैसी फिजूल बातें सोचनी ही छोड़ दीं।’ ये डायलॉग है हाल ही में आई फिल्म ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ का। फिल्म की शुरुआत में ही...
Category: मेरी अभिव्यक्ति
हम लड़कियां कब मां की जगह ले लेती हैं, पता ही नहीं चलता…
मुझे याद नहीं कि बचपन में कभी सिर्फ इस वजह से स्कूल में देर तक रुकी रही होऊं कि बाहर बारिश हो रही है। भीगते हुए ही घर पहुंच जाती थी। और तब बारिश...
लड़कियाँ गौरैया होती है
लड़कियाँ गौरैया होती है फुदकती हैं एक डाल से दुसरी डाल तक मुस्कुराती हैं अपने टेढ़े मेढ़े दांतो से पकड़ लेती हैं अपनी चोंच में कुछ टुकड़े अनाज के वो आंगन सूना होता है...
तुम सिर्फ आँसूओं में तो नहीं…
तुम क्या गये, जीवन का आखरी पन्ना न्यूज-पेपर पर छपी एक्सिडेंट की खबर भर रह गया… घर भर-भर लोग आते रोते-चिल्लाते मैं डर से सहमे अपने बच्चों को देखकर कभी चुप होती कभी दुनिया...
कला – एक औरत की अनकही कथा
तीस तक आते-आते उसने आठ बार गर्भधारण किया और पाँच की माँ बनी ! आँखों के नीचे जमे होते छुआरे से छिलके और दूध चूस कर स्तन सूखे लूफ्फा के स्पोंज बन गये साल...
ये तुम्हारी धमकियों से भी ना डरती लड़कियाँ
रामजस कॉलेज में हुई हिंसा को लेकर एबीवीपी के खिलाफ मुहिम छेड़ने वाली शहीद की बेटी गुरमेहर कौर को रेप की धमकी देने के विरोध में प्रदर्शन हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में लड़कियों ने...
मेरी जिंदगी के तमाम खूबसूरत पुरुषों को प्यार!
इन दिनों ज्ञान बांटने वालों की बाढ़ आई हुई है। हर इंसान लेखक है आलोचक है। पाठक गुमशुदा है। सलाह के नाम पर रेवड़ियां बाँटी जा रही है। कोई भी एक विषय उठा लिया...
मुझको यौम-ए-मुहब्बत जैसे किसी दिन की याद नहीं
आज वैलेंटाइन डे है। मोहब्बत के इज़हार का दिन। अपना मुल्क अफ़ग़ानिस्तान छोड़ा तो उम्र काफ़ी कम थी। यौम-ए-मुहब्बत जैसे किसी दिन की याद नहीं आती। बीच के दिनों मे जब जाना हुआ तो...
मुझमें जो भी अच्छा है सब तेरा है
जब तुम बाहर रहते हो… ऑफिस के काम से… तो और भी ज्यादा यह अहसास पुख्ता होता है कि तुमसे ही यह घर घर है। जरूरी नहीं कि यह बात सिर्फ स्त्री पर लागू...
बदन के हर झुलसे अंग पर एक टैटू दिखता है… ‘औरत’
बहुत कुछ गल गया था उस रोज़, जिस रोज़ कोई ‘पौरुष का घोल’ मुझ पर फेंक कर चलता बना। सड़क पर झुलसती मैं और इक मूक भीड़ जो ‘तेज़ाब -तेज़ाब’ सा कुछ चीख़ रही...